Press Release

महासचिव ने वचन दिया, हम स्त्री-पुरुष समानता पर आंतरिक अवरोधों के खिलाफ संघर्ष करेंगे

13 March 2019

संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष द्वारा

कमीशन ऑन स्टेटस ऑफ विमेन (सीडब्ल्यूएस)

महासचिव ने वचन दिया, हम स्त्री-पुरुष समानता पर आंतरिक अवरोधों के खिलाफ…

संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष द्वारा

कमीशन ऑन स्टेटस ऑफ विमेन (सीडब्ल्यूएस)

महासचिव ने वचन दिया, हम स्त्री-पुरुष समानता पर आंतरिक अवरोधों के खिलाफ संघर्ष करेंगे

न्यूयार्क में 12 मार्च को संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय कार्यक्रम ‘विमेन इन पावर’ के अवसर पर महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने निम्नलिखित टिप्पणी प्रस्तुत की:

अध्यक्ष महोदया, सर्वप्रथम मैं इस अति उत्तम पहल के लिए आपको धन्यवाद देता हूं।

मैं शुक्रवार और सोमवार को इस सदन को संबोधित कर चुका हूं। मुझे लगता है कि आज मेरी टिप्पणी को संक्षिप्त होना चाहिए। चूंकि आज उनकी बात सुनना अधिक महत्वपूर्ण है जिन्होंने समाज में परिवर्तन की अगुवाई की है: वे महिला नेता जिनके प्रयासों से आज दुनिया भर में सत्ता की धुरी बदल रही है।

मैं सिर्फ यही दोहराना चाहता हूं कि इस मसले पर मेरा मुख्य संदेश यही है। जैसा कि मैं पहले भी कह चुका हूं, और लगातार यह बात कहता हूं कि स्त्री-पुरुष समानता मूल रूप से सत्ता का संघर्ष है। चूंकि हम अब भी पुरुष प्रधान समाज में रहते हैं, जहां पुरुषों के प्रभुत्व वाली संस्कृति है। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र में मैं स्त्री-पुरुष समानता पर इतना बल देता हूं।

जब मैंने अपना कार्यभार संभाला था, तब कहा था कि हमें कूटनीति पर अधिक से अधिक ध्यान देना चाहिए। लेकिन मैं मानता हूं कि सिर्फ कूटनीति ही नहीं, स्त्री-पुरुष समानता पर ध्यान देना भी जरूरी है। महासभा के अध्यक्ष पहले ही कह चुके हैं कि विश्व में वरिष्ठ प्रबंधन समूह या स्थानीय समन्वयकों के स्तर पर स्त्री-पुरुष समानता जल्द कायम करना संभव था। ऐसा करना इसलिए आसान था क्योंकि ये वे महिलाएं हैं जिन्हें मैं खुद बिना शर्त नियुक्त कर सकता हूं। अपने अधिकार क्षेत्र में मैं स्त्री-पुरुष समानता बहुत जल्दी कायम कर सकता हूं। लेकिन जब बात संयुक्त राष्ट्र की सभी संरचनाओं में अलग-अलग बोर्ड्स की आती है तो हम पाते हैं कि लोग प्रतिरोध कर रहे हैं, बाधाएं उत्पन्न कर रहे हैं और महिलाओं को पीछे की तरफ धकेलने की कोशिश कर रहे हैं। मैं आपसे वादा करता हूं कि हम इसका विरोध करेंगे और तब तक हार नहीं मानेंगे, जब तक संयुक्त राष्ट्र के सभी बोर्ड्स में स्त्रियां भी पुरुषों की बराबरी में नहीं आ जातीं।

यह समानता क्यों जरूरी है? यह इतना महत्वपूर्ण लक्ष्य क्यों है? हम इतनी सारी उत्कृष्ट, प्रतिभाशाली, योग्य महिलाओं के लिए अवसरों के द्वार खोलने में इतना परहेज क्यों कर रहे हैं? बेशक, यह समानता का सवाल है। न्याय का सवाल है। लेकिन इसका मकसद इससे भी इतर है। समानता इसलिए जरूरी है- और मैं फिर से दोहराता हूं- क्योंकि समाज में सत्ता संबंधों में परिवर्तन किए जाने की जरूरत है। तभी स्त्री-पुरुष समानता वास्तविकता बनेगी। हमें सत्ता संबंधों में परिवर्तन करना चाहिए क्योंकि इसी से शांति और सुरक्षा कायम होती है। स्त्री-पुरुष समानता शांति और सुरक्षा हासिल करने का साधन है। मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए भी स्त्री-पुरुष समानता जरूरी है क्योंकि यह मानवाधिकारों की बुनियाद है। यह सुनिश्चित करने के लिए भी कि सभी का विकास हो, चूंकि स्त्री-पुरुष समानता विकास का मूलभूत साधन भी है।

सच्चाई तो यह है कि जब महिलाएं वार्ताओं में मौजूद होती हैं, टिकाऊ शांति की संभावना बलवती होती है। जब महिलाओं को कार्यस्थलों पर समान अवसर मिलते हैं तो विकास की गति तीव्र होती है। और जब मानवीय सहायता के दौरान पुरुषों के समान महिलाओं की भी भागीदारी होती है तो अधिक निष्पक्ष तरीके से प्रत्येक को उस सहायता में अपना हिस्सा प्राप्त होता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि जब हम महिलाओं को बहिष्कृत करते हैं, तो इसकी बड़ी कीमत चुकाते हैं। जब हम महिलाओं को भागीदार बनाते हैं, विश्व विजयी होता है। हम सभी विजयी होते हैं।

मैं समझता हूं कि अब आप लोग कमीशन ऑन द स्टेटस ऑफ विमेन पर ध्यान केंद्रित करेंगे जो टिकाऊ अवसंरचना जैसे विषय पर चर्चा करेगा। टिकाऊ अवसंरचना एक व्यापक उद्देश्य का साधन भर है। और व्यापक उद्देश्य है, बेहतर समाज का निर्माण, सत्ता संबंधों में परिवर्तन, स्त्री-पुरुष असमानता को दूर करना, पूर्वाग्रहों से निपटना, अब तक प्राप्त लाभों को संरक्षित करना और सीमाओं से आगे बढ़कर सोचना और कार्य करना।

मैंने कल कहा था और आज भी कहता हूं- मुझे अपने नारीवादी होने पर गर्व है। स्त्री-पुरुष समानता को महत्वपूर्ण मानने वाला प्रत्येक पुरुष नारीवादी है। इस गैर बराबरी से भरे समाज में स्त्रियों को पुरुषों के बराबर लाने के लिए यह जरूरी है कि हम सभी नारीवादी हों।

इस सदन में मौजूद सभी महिलाओं का विशेष रूप से धन्यवाद। आपके नेतृत्व के लिए, मिसाल कायम करने के लिए, विश्व में परिवर्तन की अलख जगाने के लिए। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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