म्यांमार में पत्रकारों की सजा से यह संदेश मिलता है कि वे भयमुक्त होकर काम नहीं कर सकते- संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख
04 September 2018
3 सितंबर 2018
सोमवार को एक संदेश में संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेत ने कहा कि इस सजा से ‘म्यांमार के सभी पत्रकारों को यह संदेश मिलता…
3 सितंबर 2018
सोमवार को एक संदेश में संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेत ने कहा कि इस सजा से ‘म्यांमार के सभी पत्रकारों को यह संदेश मिलता है कि वे भयमुक्त होकर काम नहीं कर सकते। उन्हें यह तय करना होगा कि या तो वे खुद को सेंसर करे या सजा का जोखिम उठाएं।’
गौरतलब है कि इससे पूर्व उच्चायुक्त कार्यालय (ओएचसीएचआर) ने यह जानकारी दी थी कि ‘अनुचित तरीके से पारिभाषित’ सरकारी सीक्रेट्स एक्ट का उल्लघंन करने पर क्वे सो ओ (जो मो ऑन्ग के तौर पर भी जाने जाते हैं) और थेट ओ मौंग (जो वा लोन के तौर पर भी जाने जाते हैं) को सात साल की कैद की सजा सुनाई गई है।
सुश्री बाचेलेत ने एक बयान में कहा कि इन दोनों पत्रकारों ने इन दिन नरसंहार का जो कवरेज किया था, ‘वह पूरी तरह जनहित में था।’ इन दिन नरसंहार सेना द्वारा किया गया था जिसकी बाद में सेना ने जिम्मेदारी भी ली थी। सुश्री बाचेलेत ने कहा कि ‘अगर इन पत्रकारों ने इस नरसंहार की खबर न दी होती तो शायद दुनिया को इस बारे में कभी पता तक नहीं चलता।’
सुश्री बाचेलेत ने इन पत्रकारों की सजा को रद्द करने और उनकी रिहाई की अपील की। साथ ही कहा कि इनके साथ उन तमाम गिरफ्तार पत्रकारों को भी रिहा किया जाए जो अभिव्यक्ति की आजादी का वैध तरीके से इस्तेमाल करने के कारण सजा भुगत रहे हैं।
सुश्री बाचेलेत ने 1 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त का पद संभाला है। उन्होंने जैद राद अल हुसैन का स्थान लिया है जो इस पद पर सितंबर 2014 से थे।
सोमवार को ही संयुक्त राष्ट्र स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने श्री ओ और श्री मौंग की गिरफ्तारी को ‘म्यांमार के इतिहास का अंधकारमय क्षण’ बताया।
ओएचसीएचआर द्वारा जारी एक न्यूज विज्ञप्ति में अभिव्यक्ति की आजादी पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रेपोत्रेयोर डेविड केय और म्यांमार में मानवाधिकार स्थितियों पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रेपोत्रेयोर यांगी ली ने कहा कि ‘इससे इस बात का स्पष्ट संकेत मिलता है कि म्यांमार ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून से किनारा कर लिया है।’
‘हमें दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि अदालत पत्रकारों की आजादी, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोगों के जानने के हक को मान्यता नहीं देती।’
विशेषज्ञों ने कहा कि उन्होंने पहले भी इस विषय पर चिंता जाहिर की थी और पत्रकारों की गिरफ्तारी के बाद कहा था कि प्रेस को अधिक आजादी दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि, ‘हम राष्ट्रपति से पत्रकारों को माफ करने की अपील करते हैं। अगर इस मामले पर पुनर्विचार किया जाता है तो अदालत मानवाधिकारों की बाध्यताओं पर ध्यान दे और उन पत्रकारों को रिहा करे।’
संयुक्त राष्ट्र के विशेष रेपोत्रेयोर्स और स्वतंत्र विशेषज्ञों की नियुक्ति जेनेवा स्थित मानवाधिकार परिषद द्वारा की जाती है। वे मानवाधिकार के किसी विशेष विषय या किसी देश की स्थिति की जांच करते हैं और उसकी जानकारी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग को देते हैं। ये पद सम्मानार्थ होते हैं। मानवाधिकार विशेषज्ञ संयुक्त राष्ट्र कर्मचारी नहीं होते, न ही उन्हें इस कार्य के लिए कोई भुगतान किया जाता है।
इंट्रो-
- संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार प्रमुख ने कहा कि म्यांमार में रायटर्स के दो पत्रकारों को दोषी साबित करने वाली कानूनी प्रक्रिया अंतरराष्ट्रीय मानकों का ‘स्पष्ट रूप से उल्लंघन’ है। साथ ही उनकी तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग की।
- इन दिन नरसंहार पर उनकी करवेज जनहित में थी, वरना शायद दुनिया को उसके बारे में कभी पता नहीं चलता- संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाचेलेत
- पत्रकारों की सजा म्यामांर के लिए अंधकारमय क्षण- संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञ