प्रथम अंतर्राष्ट्रीय, आतंकवाद पीड़ित स्मृति एवं समर्थन दिवस
21 August 2018
प्रथम अंतर्राष्ट्रीय, आतंकवाद पीड़ित स्मृति एवं समर्थन दिवस
आतंकवाद, हमारे दौर का एक सबसे चुनौतीपूर्ण मुद्दा और अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए एक…

प्रथम अंतर्राष्ट्रीय, आतंकवाद पीड़ित स्मृति एवं समर्थन दिवस
आतंकवाद, हमारे दौर का एक सबसे चुनौतीपूर्ण मुद्दा और अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है। ताजिकिस्तान से लेकर यूनाइटेड किंगडम और बगदाद से लेकर बार्सिलोना तक इन बेरहम हमलों ने हम सबको भीतर तक हिला कर रख दिया है। कोई देश खुद को इससे बचा हुआ नहीं समझ सकता। दुनिया में लगभग हर राष्ट्रीयता के लोग आतंकवादी हमलों के शिकार हो रहे हैं।
स्वयं संयुक्त राष्ट्र बार-बार इसके निशाने पर रहा है। 15 वर्ष पहले इसी सप्ताह में इराक में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पर हुए हमले में 21 लोगों की जान गई थी। हमारे कुछ शांतिरक्षक मिशन हमेशा खतरे में रहते हैं।
किंतु आतंकवादी हमलों के बाद हम शायद ही कभी उनके बारे में सुनते हैं जो इनमें मारे गए या घायल हुए ; आम महिलाएं, पुरुष, लड़कियाँ और लड़के, जो अपने दैनिक कामकाज में व्यस्त थे, जब उनका जीवन एकाएक समाप्त हो गया अथवा हमेशा के लिए बदल गया। हम, उनके पीछे छूट गए परिवारों, मित्रों और समुदायों के बारे में शायद ही कभी कुछ सुनते हैं जिन्हें अपनी सारी ज़िंदगी आतंकवाद के दंश के साथ जीना सीखना ही पड़ता है।
आज, प्रथम अंतर्राष्ट्रीय, आतंकवाद पीड़ित स्मृति एवं समर्थन दिवस, पर आतंकवाद के शिकार हमें याद दिलाते हैं कि हम रुकें और आतंकवाद के शिकार हो गए और जीवित बचे लोगों की आवाज़ें सुनें, उन्हें अपनी आवाज़ बुलंद करने में सहयोग दें और समझें कि आतंकवाद ने उनकी ज़िंदगी पर कैसी छाप छोड़ी है।
हम सब, उनके अनुभवों से सीख सकते हैं। दुनियाभर में समुदाय आतंकवादी हमलों का डटकर सामना करने की अपनी क्षमता दिखा रहे हैं। वे अपने दैनिक जीवन में, अपने स्कूलों, बाज़ारों औऱ पूजा स्थलों में आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद का जवाब दे रहे हैं।
आतंकवाद के शिकार लोगों और उनके परिवारों को उनके मानव अधिकारों के संवर्द्धन, संरक्षण एवं सम्मान के आधार पर समर्थन देना नैतिक दृष्टि से अनिवार्य है। आतंकवादी हमलों के शिकार और जीवित बचे लोगों की परवाह करने और उनकी आवाज़ें बुलंद कराने से घृणा और भेद फैलाना को चुनौती देने में मदद मिलती है जिसे फैलाना आतंकवादियों का उद्देश्य है। हमें वित्तीय, कानूनी, चिकित्सकीय और मनोसामाजिक समर्थन सहित लम्बे समय तक इन पीड़ितों को सहायता देनी होगी।
हम जब आतंकवाद के शिकार और जीवित बचे लोगों को सहारा देते हैं, उनकी आवाज़ें सुनते हैं, उनके अधिकारों का सम्मान करते हैं और उन्हें समर्थन व न्याय प्रदान करते हैं तो असल में हम अपने साझे संबंधों का सम्मान करते हैं, और आतंकवादियों के हमलों से व्यक्तियों, परिवारों और समुदायों को होने वाली स्थाई क्षति को कम करते हैं।
मैं उन सबका आभारी हूँ जो हर दिन आतंकवाद के खिलाफ आवाज़ उठाने को तैयार हैं। आपकी आवाज़ों का महत्व है और विपत्ति का सामना करने का आपका साहस, हम सबके लिए सबक है।
आज और हर दिन, संयुक्त राष्ट्र आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है।