जन्म के पहले घंटे में स्तनपान शुरू करने वाले बच्चों की संख्या भारत में दोगुनी हुई
03 August 2018
विश्व स्तर पर हर 5 में से 3 नवजात शिशुओं को जन्म के पहले घंटे में स्तनपान नहीं कराया जाता
नई दिल्ली/जिनीवा, 2 अगस्त 2018- भारत में जन्म के पहले घंटे में…
[vc_row][vc_column][vc_column_text]विश्व स्तर पर हर 5 में से 3 नवजात शिशुओं को जन्म के पहले घंटे में स्तनपान नहीं कराया जाता

नई दिल्ली/जिनीवा, 2 अगस्त 2018- भारत में जन्म के पहले घंटे में स्तनपान शुरू करने की दर लगभग दोगुनी हो गई है। 2005 में जहां यह दर 23.1 प्रतिशत थी, वहीं 2015 में यह बढ़कर 41.5 प्रतिशत हो गई। भारत में स्तनपान की एक लंबी सांस्कृतिक परंपरा रही है और 95 प्रतिशत बच्चों को उनके शुरुआती वर्षों में कभी न कभी स्तनपान कराया ही जाता है।
विश्व स्तर पर लगभग 78 मिलियन बच्चों- या हर पांच में से तीन- को जन्म के शुरुआती पहले घंटे में स्तनपान नहीं कराया जाता। इससे उनकी मृत्यु होने या बीमारियों का शिकार होने की आशंका अधिक होती है और उनका निरंतर स्तनपान करना मुश्किल होता है। यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ की एक नई रिपोर्ट ‘कैप्चर द मोमेंट’ का यह निष्कर्ष है। इस रिपोर्ट में 76 देशों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है।
“स्तनपान से बालिकाओं और बालकों के सेहतमंद जीवन की शुरुआत होती है। इससे मस्तिष्क का विकास होता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। व्यक्ति वयस्क होने पर गंभीर रोगों से बचा रहता है।”
“स्तनपान मानव पूंजी में सबसे अक्लमंदी भरा निवेश है। इससे प्रत्येक बच्चे को आगे बढ़ने का मौका मिलता है और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।” यूनिसफ इंडिया की कंट्री रिप्रेजेंटेटिव डॉ. यास्मीन अली हक के अनुसार, “हमें सभी माताओं को इस बात के लिए सहयोग देना चाहिए कि वे बच्चे को शुरुआती छह महीने में सिर्फ स्तनपान कराएं और फिर कम से कम दो सालों तक स्तनपान जारी रखें।”
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2015-16) के आंकड़े संकेत देते हैं कि 54.9 प्रतिशत बच्चों को जन्म के पहले छह महीने तक सिर्फ स्तनपान कराया जाता है। लेकिन बाद के वर्षों में स्तनपान जारी नहीं रहता क्योंकि बच्चों को पानी और दूसरे तरल पदार्थ दिए जाने लगते हैं।
भारत के लिए यह सुनिश्चित करना एक चुनौती है कि जन्म के पहले घंटे में बच्चों को स्तनपान की शुरुआत कराई जाए और छह महीने तक उन्हें सिर्फ मां का दूध दिया जाए। जिन बच्चों को जन्म के पहले घंटे में मां का दूध नहीं दिया जाता, उनमें से 33 प्रतिशत शिशुओं की मृत्यु होने की अधिक आशंका होती है।
यूनिसेफ की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हेनरिता एच. फोर का कहना है, “स्तनपान शुरू करने की बात चलती है तो उसमें समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। मतलब स्तनपान की शुरुआत कब की गई। बहुत से देशों में यह जीवन और मृत्यु का मामला होता है। फिर भी हर साल लाखों बच्चों को पैदा होने के तुरंत बाद मां के दूध का वरदान नहीं मिलता, कारण जो भी हों। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। कई बार माताओं को प्रसव के बाद के नाजुक क्षणों में स्तनपान के लिए दूसरों का सहयोग नहीं मिलता- खासकर चिकित्साकर्मियों और स्वास्थ्य सेवाओं का।”
डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ के नेतृत्व में ग्लोबेल ब्रेस्टफीडिंग कलेक्टिव ने 2018 के ग्लोबल ब्रेस्टफीडिंग स्कोरकार्ड को जारी किया है। इसमें स्तनपान से संबंधित नीतियों और कार्यक्रमों की प्रगति पर नजर रखी जाएगी। इस स्कोरकार्ड के माध्यम से विभिन्न देशों को ऐसी नीतियों और कार्यक्रमों को संचालित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है जो माताओं की मदद करें ताकि वे बच्चों के पैदा होने के एक घंटे के अंदर उन्हें अपना दूध देना शुरू कर दें। साथ ही बाद में भी अपने बच्चों को अपना दूध देती रहें- जब तक देना चाहें।
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