“हमें सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए व्यापार जगत और शेष समाज के बीच संतुलित संबंध कायम करना होगा।” वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने दूसरे राष्ट्रीय संयुक्त-राष्ट्र व्यापार फोरम के अवसर पर यह टिप्पणी दी।
27 July 2018
“हमें सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए व्यापार जगत और शेष समाज के बीच संतुलित संबंध कायम करना होगा।” वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने दूसरे…
[vc_row][vc_column][vc_column_text]

“हमें सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए व्यापार जगत और शेष समाज के बीच संतुलित संबंध कायम करना होगा।” वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने दूसरे राष्ट्रीय संयुक्त-राष्ट्र व्यापार फोरम के अवसर पर यह टिप्पणी दी।
सीईओ राउंडटेबल- फंडिंग से फाइनासिंग तक : नई साझेदारी को सशक्त करना, अभिनव विचारों को जन्म देना, वित्त पोषण के परिवर्तनशील उपायों को प्रकट करना और एसडीजीज़ के लिए नीतिगत संवाद कायम करना
बेंगलूर, 7 जून: दूसरे राष्ट्रीय संयुक्त-राष्ट्र व्यापार फोरम के अवसर पर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने वीडियो संदेश के माध्यम से व्यापार जगत और समाज, तथा व्यापार जगत एवं सरकार के बीच ‘संतुलित संबंध’ कायम करने के लिए एक मंच तैयार करने की जरूरत पर बल दिया, चूंकि इसके जरिए सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजीज़) को एकजुट होकर हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “रोजगार, नौकरियों के सृजन और जीवन के स्तर में सुधार के लिए व्यापार जरूरी है। इसके साथ यह समझना भी जरूरी है कि व्यापार जगत सारी समस्याओं की जड़ नहीं है। मुझे बहुत खुशी है कि संयुक्त राष्ट्र ने यह पहल की। इसके लिए मैं संगठन को शुभकामनाएं देता हूं।”
सीईओ राउंडटेबल को संबोधित करते हुए श्रीवत्स कृष्णा, आईएएस, भारतीय कॉफी बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एवं सचिव तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त सचिव श्रीवत्स कृष्णा ने कहा “भारत सरकार एसडीजीज़ के प्रति कृतसंकल्प है। हालांकि वित्त पोषण का जो मौजूदा स्तर है, उसके जरिए विश्व 2030 तक इन लक्ष्यों का हासिल नहीं कर पाएगा। यह हम सभी के लिए चिंता का विषय है। मैं सरकार और संयुक्त राष्ट्र का आह्वान करता हूं कि वे विकास संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए उद्योग जगत से सहयोग करें।” उन्होंने भारतीय कॉफी बोर्ड का उदाहरण पेश किया। उन्होंने कहा, “निजी क्षेत्र के सहयोग से हमने छोटे किसानों की आय में वृद्धि की और इनसेंटिव्स देते हुए कॉफी इको-सिस्टम को विकसित किया।”
यूएनआईबीएफ भारत के मुख्य आर्थिक क्षेत्रों- व्यापार, वित्तीय संस्थानों, सरकार और संयुक्त राष्ट्र का एक रणनीति गठबंधन है जिसका लक्ष्य भारत के त्वरित विकास और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजीज़) को हासिल करने की दिशा में तेज गति से प्रगति करना है। सतत विकास लक्ष्यों में 17 लक्ष्य समाहित हैं जो विश्व की समृद्धि सुनिश्चित करते हैं। इस मौके पर यूएन रेजिडेंट कोऑरडिनेटर और यूएनडीपी रिप्रेजेंटेटिव इन इंडिया यूरी अफानासीव ने कहा, “यूएनआईबीएफ में उत्प्रेरक और नई साझेदारियों के जरिए विभिन्न क्षेत्रों का रूपांतरण करने, वित्तीय संसाधनों को प्रकट करने और भारत में सामाजिक एवं सतत विकास के लिए अभिनव विचारों को प्रोत्साहित करने की अद्भुत क्षमता है।”
यूएनआईबीएफ इस विचार पर केंद्रित है कि निजी क्षेत्र के सहयोग से विकसित अभिनव समाधानों की मदद से भारत में सतत विकास को प्रोत्साहन मिलेगा। यूएनआईबीएफ विषयगत समूहों के माध्यम से काम करता है जो व्यापक विषयों पर केंद्रित है: विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा, किफायती आवास, स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा और दक्षता, महिला आर्थिक सशक्तीकरण और जल एवं स्वच्छता (सैनिटेशन)। इस वर्ष भारत में निजी क्षेत्र की कुछ बड़ी कंपनियां, जैसे यूनिलीवर, हिंदुस्तान कोका-कोला, पिरामल स्वास्थ्य, टाटा हाउसिंग, एचडीएफसी, फ्यूचर ग्रुप इत्यादि सामूहिक रूप से अवसरों को तलाशने और इस साझेदारी की विशाल संभावनाओं को उजागर करने के लिए एकत्र हुईं।
फोरम के प्रथम वर्ष में भारत के 70 से अधिक बड़े और ताकतवर उद्यमों ने यूएनआईबीएफ के सहयोग से अभिनव समाधानों और साझेदारियों को चिन्हित किया, राष्ट्रीय शहरी पर्यावास एवं आवास नीति और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय को सुझाव दिए और टिकाऊ, किफायती आवास निधि बनाने एवं कचरे से निपटने हेतु साझेदारियों को सहयोग प्रदान किया।
इस वर्ष यूएनआईबीएफ के अंतर्गत महिला उद्यमियों के लिए यूएन इंडिया-नीति आयोग निवेशक कंसोर्टियम का आयोजन किया गया। इस प्लेटफॉर्म के जरिए यूएनआईबीएफ और नीति आयोग के महिला उद्यमिता मंच को एकजुट किया गया ताकि महिला उद्यमियों को सलाह एवं नेटवर्किंग प्रदान की जा सके। कंसोर्टियम का उद्देश्य निवेश के लिए एक इकोसिस्टम तैयार करना है जिससे महिलाओं में उद्यमशीलता को मजबूत किया जा सके और स्टार्ट अप निवेशों में लैंगिक असमानताओं को कम किया जा सके। इस अवसर पर नीति आयोग, भारत सरकार, की सलाहकार अन्ना रॉय ने कहा, "मैं भारत में संयुक्त राष्ट्र की इस पहल से अत्यंत उत्साहित हूं। यह महिला उद्यमियों की संभावनाओं को उभारने का काम करेगा। इस प्लेटफॉर्म के जरिए महिला उद्यमियों को निवेशक मिलेंगे और उनके लिए वित्त पोषण के दूसरे विकल्प तलाशने में मदद मिलेगी। यह पहल महिला उद्यमिता मंच के अनुकूल है और इससे मंच के उद्देश्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी।"
एसडीजीज़ में व्यापार जगत द्वारा निवेश करने का औचित्य स्पष्ट है। सतत विकास लक्ष्यों में इतनी क्षमता है कि उसके जरिए 2030 तक विश्व के 12 ट्रिलियन US$ मूल्य वाले बाजार में प्रवेश करने का मार्ग खुल सकता है। भारत के संदर्भ में यह अवसर सुस्पष्ट है जहां विश्व की जनसंख्या का एक बटा छह हिस्सा बसता है और जहां विश्व के सबसे बड़े और सबसे महत्वाकांक्षी विकास कार्यक्रम चलाए जाते हैं। हालांकि यह अनुमान लगाया गया है कि विश्व स्तर पर एसडीजीज़ को लागू करने के लिए हर वर्ष 5 ट्रिलियन US$ तक खर्च करने होंगे।
इस बीच संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम एवं रॉकेफेलर फिलेंथ्रॉपी एडवाइजर्स के नेतृत्व में तथा ओक फाउंडेशन के सहयोग से एसडीजी लोकोपकार मंच (एसडीजीपीपी) ने यूएनआईबीएफ सीईओ राउंडटेबल के साथ साथ एक परस्पर संवादात्मक कार्यशाला का आयोजन किया जिसका विषय था- स्केलिंग फिलेंथ्रॉपीज़ इंपैक्ट इन अचीविंग एसडीजीज़ इन इंडिया। इसका उद्देश्य यह जानना था कि मानव सौहार्द के क्षेत्र में कार्य करने वाले संस्थान और अग्रणी व्यक्ति किस प्रकार सतत विकास लक्ष्यों के प्रभाव में वृद्धि करेंगे और योजना एवं सहयोग के ढांचे में किस प्रकार एसडीजीज़ का प्रयोग करते हुए विकास के लक्ष्य हासिल करेंगे। एसडीजीपीपी भारत ने लोकोपकार के क्षेत्र के अग्रणी नेतृत्व के साथ अपने सहयोग को सफलतापूर्वक सशक्त किया जिससे समाधान केंद्रित और सहयोगपरक दृष्टिकोण से विश्वव्यापी विकास के उद्देश्यों को हासिल किया जा सके।
हालांकि एसडीजीज़ को “वित्त पोषित” करने के लिए लोकोपकार पर्याप्त नहीं है। विश्वव्यापी व्यापार जगत अब वित्त पोषण के अभिनव उपायों, सार्वजनिक-निजी क्षेत्र की साझा पहल, मूल्यांकन योग्य परिणामों और सतत व्यापार के लिए पूर्ण आपूर्ति श्रृंखला के दृष्टिकोण की तरफ बढ़ रहा है।
संयुक्त राष्ट्र- भारत व्यापार मंच परस्पर संवाद कायम करने और सहभागियों, विभिन्न क्षेत्रों और देशों को एक दूसरे की बराबरी पर लाने के लिए अभिनव विचारों का एक मंच प्रदान कर रहा है। 2030 तक महत्वाकांक्षी सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए ऐसी पहल की आवश्यकता है।
यूएनआईबीएफ के विषय में अधिक जानें: in.one.un.org/unibf
एसडीजी फिलेंथ्रॉपी प्लेटफॉर्म के विषय में अधिक जानें: www.sdgphilanthropy.org/India-SDGPP
अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें:
आमराह अशरफ, कम्यूनिकेशन स्पेशलिस्ट, amarah.ashraf@undp.org[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]