भेंटवार्ता : उत्‍तर कोरिया में संयुक्‍त राष्‍ट्र के स्‍थानीय समन्‍वयक को मानवीय सहायता बहुत बढ़ने के आसार दिखाई देते हैं
24 July 2018
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कोरियाई प्रायद्वीप में हाल में हुई अनुकूल राजनीतिक गहमागहमी के बाद उत्‍तर कोरिया में मौजूद संयुक्‍त राष्&…
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कोरियाई प्रायद्वीप में हाल में हुई अनुकूल राजनीतिक गहमागहमी के बाद उत्तर कोरिया में मौजूद संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी को वहां कुपोषण से लड़ते और गरीबी में जीते लाखों लोगों के लिए वैश्विक मानवीय सहायता में उछाल के आसार दिखाई देते हैं।
लोकतांत्रिक जनवादी गणराज्य कोरिया में संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय समन्वयक तपन मिश्रा ने यूएन न्यूज को बताया, "संयुक्त राष्ट्र के लिए इसका बहुत गहरा अर्थ होना स्वाभाविक है।" उनका कहना था कि 12 जून को लोकतांत्रिक जनवादी गणराज्य कोरिया (डीपीआरके) और अमरीका के बीच हुई शिखर बैठक से न सिर्फ परमाणु हथियार समाप्त करने और विश्व शांति के लिए नए अवसर खुले हैं, बल्कि संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों को भी देश की मानवीय आवश्यकताएं पूरी करने के लिए अधिक धन जुटाने में मदद मिलेगी।
उत्तर कोरिया के लिए मानवीय सहायता में 2012 से नाटकीय कमी आई है। 2017 में जितने धन का अनुरोध किया गया था उसका सिर्फ 31 प्रतिशत प्राप्त हुआ। 2018 में धन जुटाने की स्थिति और भी चिंताजनक है। आज सिर्फ 9 प्रतिशत या 1,00,00000 अमरीकी डॉलर की राशि प्राप्त हुई जबकि 2018 की आवश्यकता और प्राथमिकता योजना के जरिए उत्तर कोरिया में 60,00000 लाचार लोगों की मदद के लिए 11,10,00000 अमरीकी डॉलर का अनुरोध किया गया था।
धन की कमी के कारण संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों को जीवन रक्षक कार्यक्रमों को प्राथमिकता देने और उनका आकार भी कम करने पर मजबूर होना पड़ा। गंभीर खाद्य असुरक्षा और कुपोषण की समस्या अब भी व्यापक है। करीब 1,03,00000 लोग मतलब कुल आबादी का 41 प्रतिशत हिस्सा अल्पोषित है।
इस विशेष भेंटवार्ता में श्री मिश्रा ने बताया कि किस तरह संचालन संबंधी समस्याओं के बावजूद संयुक्त राष्ट्र की सहायता गतिविधियां जारी रही हैं, किस तरह आर्थिक प्रतिबंधों के कारण उत्तर कोरिया के आम लोगों के जीवन को अनचाहे में ही क्षति पहुंची है और किस तरह हाल में राजनीतिक गतिरोध टूटने से वहां लोगों में नई उम्मीद जाग रही है।
श्री तपन मिश्रा उत्तर कोरिया में संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायता टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। इसमें शामिल 6 एजेंसियां हैं- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (युनिसेफ), विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी), संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए), खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ)। इनके अलावा अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी मानवीय सहायता गतिविधियों में शामिल हैं। अनेक अन्य एजेंसियां भी बाहर से समर्थन दे रही हैं।
यूएन न्यूज : अब सबकी निगाहें कोरियाई प्रायद्वीप पर हैं। आपकी नजर में अमरीका-उत्तर कोरिया शिखर बैठक का संयुक्त राष्ट्र के काम पर किस तरह का असर पड़ेगा?
तपन मिश्रा : यह बहुत महत्वपूर्ण समय है। जहां तक सिंगापुर में लोकतांत्रिक जनवादी गणराज्य कोरिया और अमरीका के नेताओं के बीच हाल में हुई शिखर बैठक का सवाल है इसने विश्व शांति और शायद स्थिरता एवं परमाणु हथियारों की समाप्ति के लिए नए अवसर खोल दिए हैं और संयुक्त राष्ट्र के लिए तो इसका गहरा अर्थ होना स्वाभाविक है। हम तो इसी का इंतजार कर रहे थे कि टकराव की संभावित धमकियों की जगह राजनयिक संवाद हो। इसलिए हमें उम्मीद है कि उत्तर कोरिया में सबसे जरूरतमंद और लाचार लोगों के लिए संयुक्त राष्ट्र को विशेषकर मानवीय नजरिए से सहायता देने में तुरंत बहुत समर्थन मिलने वाला है।
संयुक्त राष्ट्र का काम इस बात पर निर्भर है कि उससे क्या-क्या मांग की जाती है। महासचिव कह चुके हैं कि संयुक्त राष्ट्र सेवा करने को तैयार है। मुझे लगता है कि तत्काल ही मानवीय समर्थन में भारी उछाल आएगा जिसकी जरूरत भी है।
जैसा कि महासचिव ने अपने वक्तव्य में कहा है कि संयुक्त राष्ट्र तंत्र के संबद्ध अंग इस प्रक्रिया को किसी भी तरह से समर्थन देने को तैयार हैं। अगर प्रमुख पक्षों ने अनुरोध किया तो समर्थन में पुष्टिकरण भी शामिल होगा। अगर भविष्य में मानवीय सहायता से बढ़ते-बढ़ते विकास के लिए काम करने के अवसर होंगे तो हम भविष्य में भी अपनी उपस्थिति और अपने काम में फेरबदल करने को उत्सुक रहेंगे।
यूएन न्यूज : क्या आप बता सकते हैं कि संयुक्त राष्ट्र की कंट्री टीम फिलहाल वहां आम लोगों को सहारा देने के लिए क्या करती है?
तपन मिश्रा : फिलहाल उत्तर कोरिया में संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायता टीम मूल रूप से सबसे जरूरतमंद और लाचार लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने पर ध्यान देती है। वहां मौजूद 2.51 करोड़ लोगों में से हमारा लक्ष्य 2018 में करीब 60,00000 लोगों को सहारा देने का है जिन्हें खाद्य सुरक्षा, पोषाहार, स्वास्थ्य, जल, स्वच्छता और व्यक्तिगत सफाई के लिए समर्थन की जरूरत है। संयुक्त राष्ट्र की कंट्री टीम और विभिन्न एजेंसियां उत्तर कोरिया में मानवीय कार्य समन्वय कार्यालय (ओसीएचए) के समर्थन से यही सहायता दे रही हैं।
यूएन न्यूज : उत्तर कोरिया के लिए एक संयुक्त राष्ट्र रणनीतिक फ्रेमवर्क है, जो 2021 तक केन्द्रित है तो क्या हाल में उभरी राजनयिक स्थिति को देखते हुए उसमें बदलाव करना होगा?
तपन मिश्रा : हम सभी संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने लोकतांत्रिक जनवादी गणराज्य कोरिया के साथ 2017 से 2021 तक 5 वर्ष के लिए एक रणनीतिक फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर किए थे। यह किसी भी सामान्य देश में संयुक्त राष्ट्र विकास सहायता फ्रेमवर्क (ओएनडीएएफ) के समकक्ष है। उत्तर कोरिया की स्थिति सबसे अलग है। हो सकता है भविष्य में जब अनुकूल अवसर होगा तो हम मानवीय सहायता से आगे बढ़कर शायद विकास के लिए काम कर सकेंगे।
रणनीतिक फ्रेमवर्क में आहार और पोषण; सुरक्षा; स्वास्थ्य; शिक्षा; जल; स्वच्छता; व्यक्तिगत सफाई आदि सहित सामाजिक विकास सेवाओं और ऊर्जा, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन एवं आपदा जोखिम प्रबंधन सहित टिकाऊ क्षमता पर अधिक ध्यान गिया गया है।
इसलिए जब यह स्थिति बदलेगी। मतलब हमें अपने मौजूदा मूलभूत कार्य मानवीय सहायता से आगे बढ़ना होगा तो उसके अनुसार ढलने की आवश्यकता हो सकती है।
यूएन न्यूज : क्या आप यह कहना चाहते हैं कि वर्तमान राजनीतिक स्थिति की झलक भविष्य में रणनीतिक फ्रेमवर्क पर देखने को मिलेगी?
तपन मिश्रा : यह देखना होगा जैसा कि आप जानते हैं कि महासचिव ने बहुत स्पष्ट शब्दों में कहा है कि संयुक्त राष्ट्र की संबद्ध एजेंसियां सेवा करने के लिए तैयार हैं। चाहे पुष्टिकरण का काम हो या अन्य आवश्यक समर्थन देना हो। यदि कुछ फेरबदल करने की आवश्यकता होगी तो उपयुक्त समय पर किए जाएंगे।
यूएन न्यूज : क्या आप बता सकते हैं कि उत्तर कोरिया में औसत नागरिकों का जीवन कैसा है?
तपन मिश्रा : देश में लाखों नागरिकों के लिए मानवीय स्थिति अब भी खराब है। बच्चे गंभीर कुपोषण के शिकार हैं, लंबे समय से जारी खाद्य असुरक्षा और कुपोषण की समस्या व्यापक है। इसका कारण कृषि योग्य भूमि की सीमित उपलब्धता - केवल 17 प्रतिशत भूमि कृषि योग्य है- आधुनिक कृषि उपकरणों और उर्वरकों तक पहुंच का अभाव तथा बार-बार आने वाली प्राकृतिक आपदाएं हैं। निरन्तर जारी कुपोषण छोटे बच्चों के लिए विनाशकारी है। बहुत बड़ी संख्या में बच्चे- पांच वर्ष की आयु से छोटे एक चौथाई से अधिक (27.9 प्रतिशत) बच्चे वृद्धि अवरोध के शिकार हैं।
इसका असर उनके बाकी जीवन पर पड़ेगा। हमारे पास किंडरगार्डंस, बच्चों, शिशुओं, गर्भवती तथा स्तनपान कराती माताओं, वृद्धों और विकलांगता के शिकार लोगों के लिए कार्यक्रम हैं। अत: उनके लिए जीवन चुनौतीपूर्ण एवं कठिन है। ऐसी कमियां हैं जिन्हें मानवीय सहायता से पूरा करना आवश्यक है। आपने 2018 के लिए आवश्यकता और प्राथमिकता दस्तावेज देखा होगा। अत: हम अपेक्षा कर रहे हैं कि दानदाता हमें इतनी वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए समर्थन देंगे जिससे हम जरूरतमंद लोगों को मानवीय सहायता दे सकें।
यूएन न्यूज : आर्थिक प्रतिबंधों ने उत्तर कोरिया में दैनिक जीवन को कितना प्रभावित किया है?
तपन मिश्रा : मैंने इस विषय को न सिर्फ संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति (1718 समिति) के अध्यक्ष के समक्ष उठाया है कि इन प्रतिबंधों के कारण संयुक्त राष्ट्र में हम और अन्य मानवीय सहायता एजेंसियां जो काम कर रही हैं उन पर अनचाहे में ही विपरीत असर पड़ रहा है और हमें इन मुद्दों पर विचार करने के लिए समिति से अच्छा समर्थन मिला है।
यूएनन्यूज : पिछले दो दशक पर नजर डालें तो संयुक्त राष्ट्र मानवीय गतिविधियों ने कोरियाई प्रायद्वीप में राजनीतिक स्थिति में उतार-चढ़ाव का सामना किस तरह किया है?
तपन मिश्रा : यह बहुत गहरी दृष्टि का प्रश्न है। पिछले दो दशक में उतार-चढ़ाव आते रहे हैं। इस समय हम उतार पर हैं। पिछले तीन वर्ष में मानवीय सहायता के लिए धन की प्राप्ति हमारे अनुरोध की केवल 20 से 30 प्रतिशत के बीच रही है और इस वर्ष तमाम अनुकूल राजनीतिक संकेतों के बावजूद इस समय धन की प्राप्ति 11,10,00000 अमरीकी डॉलर की हमारी मांग की सिर्फ 9 प्रतिशत है।
यूएन न्यूज : तो क्या आपको उम्मीद है कि यदि अनुकूल राजनीतिक घटनाएं जारी रहती हैं तो मानवीय सहायता के लिए अधिक धनराशि मिलेगी?
तपन मिश्रा : मैं वास्तव में ऐसी आशा करता हूं अब, जब अनुकूल राजनीतिक दरवाजे खुल रहे हैं, इस शिखर बैठक में शायद परमाणु हथियार पूरी तरह और पुष्टि करने योग्य ढंग से समाप्त करने के दरवाजे खोले हैं तो हम आशा कर रहे हैं कि सदस्य देश सबसे लाचार आबादी को मानवीय सहायता प्रदान करने में संयुक्त राष्ट्र और अन्य एजेंसियों को समर्थन देंगे और मैं फिर आशा करता हूं कि इससे हमें मिल रहे मानवीय समर्थन में एक नई वृद्धि होगी।
यूएन न्यूज : राजनीतिक स्थिति बिगड़ने का मानवीय गतिविधियों पर किस तरह प्रभाव पड़ता है?
तपन मिश्रा : दो या तीन तरह से प्रभाव पड़ता है। सबसे पहले तो मानवीय सहायता राशि बहुत बुरी तरह प्रभावित हुई। इससे आवश्यक समर्थन देने की हमारी क्षमता में बहुत बाधा आती है। ऐसा होने पर एजेंसियों को अपने कार्यक्रमों में कटौती करनी पड़ती है क्योंकि कोई धन नहीं मिलता। दूसरे, हमने प्रतिबंधों के अनचाहे दुष्परिणाम देखे हैं। मानवीय सहायता पर भी असर पड़ा है। तीसरे, देश में पैसा आने के लिए हमारे पास जो बैंकिंग माध्यम था वह पूरी तरह ठप्प हो गया है। इस समय हमारे पास कोई विकल्प भी नहीं है और हम कोई विकल्प तलाश कर रहे हैं। तो हमारे लिए ये तीन बड़ी चुनौतियां रही हैं। अगर हमें सबसे कारगर तरीके से मानवीय सहायता प्रदान करनी है।
यूएन न्यूज : क्या आपने पिछले वर्ष के बाद से सरकार के साथ अपने संपर्क या सहयोग के स्तर में कोई बदलाव देखा है?
तपन मिश्रा : पिछले कुछ वर्षों में संयुक्त राष्ट्र और उसके सहयोगियों ने मानवीय सहायता प्रदान करने वालों और मानवीय सहायता उपायों के लिए सरकार के साथ विश्वास और समझ पैदा करने के लिए बहुत प्रयास किए हैं। एजेंसियां प्रवेश नहीं तो सहायता नहीं के दृष्टि के अनुरूप काम कर रही है जिसे अधिकारी समझते और स्वीकार करते हैं। इस निरंतर, सैद्धांतिक और मजबूत संबंध ने बेहतर प्रदेश, बेहतर निगरानी, बेहतर कार्यक्रम और बेहतर सहयोग का रूप लिया है।
यूएन न्यूज : क्या हाल ही में आपने उत्तर कोरिया के आम लोगों में आशा की कोई किरण देखी है?
तपन मिश्रा : बिल्कुल। शिखर बैठक के बाद मैं लोकतांत्रिक जनवादी गणराज्य कोरिया नहीं गया हूं पर जल्दी ही जाने वाला हूं। फिर भी मैं लोगों से जो कुछ सुन रहा हूं और मैं देख रहा हूं कि उम्मीद साफ दिखाई दे रही है और मुझे विश्वास है कि हर कोई शांति और स्थिरता के साथ बेहतर और अधिक संपन्न भविष्य की दिशा में आगे बढ़ने की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहा है। इसलिए मुझे विश्वास है कि न सिर्फ उत्तर कोरिया के लोगों में बल्कि दुनिया के लोगों में आशा तो है। यह इस प्रायद्वीप में नई शांति और स्थिरता का युग है जिससे विश्व में शांति और विकास आने की उम्मीद है।
यूएन न्यूज : आप कोई संदेश देना चाहेंगे?
तपन मिश्रा : संयुक्त राष्ट्र लंबे समय से वहां काम कर रहा है और तमाम चुनौतियों के बावजूद हम वह काम करते रहे हैं जो हमें सौंपे गए हैं। हम आवश्यकता पड़ने पर और अधिक काम करने के लिए तैयार खड़े हैं और हम अपना काम करने के लिए सभी सदस्य देशों से समर्थन मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। वे मानवीय सहायता के लिए अधिक धन समर्थन देकर हमारी मदद कर सकते हैं, यह सुनिश्चित करने में हमारी मदद कर सकते हैं कि प्रतिबंधों के अनचाहे दुष्प्रभाव कम हों या पूरी तरह समाप्त हो जाएं और हमें आशा है कि भविष्य में इस प्रायद्वीप पर शांति और विकास का आगमन होगा और उम्मीद है कि विश्व भर में स्थिति अधिक बेहतर होगी।
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