Press Release

सतत ऊर्जा से ही ग्रामीण महिलाओं का विकास संभव: एसई4ऑल बैठक के आयोजन पर संयुक्त राष्ट्र उप-महासचिव अमीना मोहम्मद के वक्तव्य

23 July 2018

[caption id="attachment_18177" align="aligncenter" width="900"] सतत् विकास के बारे में 2018 उच्च-स्तरीय राजनीतिक फोरम[/caption]
संवहनीय ऊर्जा- किसी को,…

[vc_row][vc_column][vc_column_text]

[caption id="attachment_18177" align="aligncenter" width="900"]

मैं अभी दक्षिण सूडान, नाइजर और चाड में स्वीडन के साथ संयुक्त राष्ट्र और अफ्रीकी यूनियन के संयुक्त मिशन का नेतृत्व कर के वापस आई हूँ। ये असर वहाँ साफ दिखाई दे रहे थे। दक्षिण सूडान में संरक्षित असैन्य शिविरों में रहती महिलाओं को जब पानी और लकड़ी लाने के लिए शिविरों के बाहर दूर दूर जाना होता था तो उन पर हमलों और उनके साथ दुष्कर्म होने का जोखिम बहुत अधिक रहता था। चाड और नाइजर में बिजली की सुलभता के अभाव का असर साफ दिखाई देता है। नाइजर में सिर्फ 5 प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्या को रसोई के लिए स्वच्छ ईंधन समाधान सुलभ हैं और 2 प्रतिशत से भी कम जनसंख्या के लिए उसकी संभावना है। हमने चाड में बोल क्षेत्र और नाइजर में मराडी में महिलाओं से मुलाकात के दौरान इन संख्याओं का असर देखा। यह महिलाएं चाहे मछुआरी हों या किसान, अपने परिवारों का पेट भरने के लिए नई भूमिकाएं अपना रही हैं लेकिन जहाँ बिजली की सुविधा होने का अर्थ है आमदनी देने वाली गतिविधियों के लिए अधिक घंटे, बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और बच्चों की प्रगति के लिए पढ़ने का समय।

स्वच्छ, किफायती और आधुनिक ऊर्जा की सुलभता बढ़ाना इन आँकड़ों को बदलने के लिए ज़रूरी है। उससे बिना वेतन घरेलू काम कम हो सकता है और महिलाओँ का आर्थिक सशक्तिकरण हो सकता है। उसके साधन भी मौजूद हैं। हमने मेरे मिशन में शामिल, सबके लिए ऊर्जा से सम्बद्ध अपने विशेष प्रतिनिधि से जाना कि किस तरह अकेले साहेल में सौर ऊर्जा से दुनिया की बिजली की 70 प्रतिशत ज़रूरत पूरी की जा सकती है।

चुनौतियाँ कठिन हैं पर आशा जगाने के अनेक कारण हैं। अनेक देश सुलभता, कुशलता और नवीकरणीय ऊर्जा के लिए सभी उपायों में प्रगति कर रहे हैं। प्रश्न यह नहीं है कि “क्या करें?”, बल्कि यह है कि केन्या, या बांग्लादेश अथवा चिली ऐसा क्या कर रहे हैं जिसे हम सीख कर अपना सकते हैं।

आइए देखते हैं कि क्या सबक सीखे जा सकते हैं। सबसे सफल देशों में निवेश के माहौल के साथ मज़बूत नीतिगत ढाँचा है जो घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय, दोनों तरह के निवेश को आकर्षित करता है। वे अपने लिए स्पष्ट लक्ष्य तय करते हैं जिनकी हिमायत सरकार के सर्वोच्च स्तर से होती है। इनमें से जो अनेक देशों की प्रगति में सबसे आगे हैं, उन्होंने अधिक समेकित नियोजन का रास्ता अपना लिया है। वे सतत् विकास लक्ष्यों तथा ऊर्जा और जलवायु संबंधी अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति पेरिस समझौते के तहत राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित अपने योगदानों से कर रहे हैं।

किंतु बहुत ही कम देश ऊर्जा कुशलता को बहुत अधिक सुधारने पर ध्यान दे रहे हैं, जबकि वह आवश्यक भी है और संभव भी। यह सिर्फ औद्योगिक देशों के लिए नहीं बल्कि उन सभी देशों के लिए भी प्राथमिकता है जिनके भविष्य के शहरों का अभी निर्माण नहीं हुआ है।

सतत् विकास लक्ष्य 7 और पेरिस समझौते को साकार करने के लिए हमें अपने प्रयास तेज़ करने होंगे। आगे बढ़ते हुए हमारे सामने अनेक अवसर हैं। इस वर्ष सतत् विकास के बारे में उच्च-स्तरीय राजनीतिक फोरम में सतत् विकास लक्ष्य 7 की दिशा में प्रगति की पहली गहन समीक्षा से स्थिति का जायज़ा लेने और महत्वाकाँक्षी कार्रवाई उत्प्रेरित करने का महत्वपूर्ण अवसर मिला है।

2030 एजेंडा की स्वैच्छिक राष्ट्रीय समीक्षाओं से उपयोगी गहन जानकारी मिलती है। राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान पेरिस समझौते की दिशा में प्रगति के लिए स्वच्छ ऊर्जा समाधानों का उपयोग कर सकते हैं। अगले वर्ष सितम्बर में महासचिव न्यूयॉर्क में जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन आयोजित करेंगे जिससे जलवायु कार्रवाई तेज़ हो और महत्वाकाँक्षा बढ़ सके। सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा की प्रमुख भूमिका होगी।

यहाँ संयुक्त राष्ट्र में हम 2030 एजेंडा तथा पेरिस समझौते के समर्थन में सदस्य देशों को सहारा देने के अपने प्रयास मज़बूत करते रहेंगे। सबके लिए संवहनीय ऊर्जा बैठक, सभी हितधारकों को सम्पर्क करने, सीखने और सबसे महत्वपूर्ण, कार्रवाई करने हेतु एकजुट होने के लिए आवश्यक मंच प्रदान करती रहेगी।

सतत् विकास लक्ष्य 7 पहुँच के भीतर है, पर तभी, यदि हम अपने प्रयासों का स्तर उठाने के लिए तत्काल कार्रवाई करें। मैं अधिक नेतृत्व तथा अभिनव कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त करने के लिए आप पर भरोसा कर रही हूँ। हमारे पास खोने के लिए समय नहीं है। मेरी कामना है कि आपकी यह बैठक सार्थक हो।[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]

UN entities involved in this initiative

UN
United Nations

Goals we are supporting through this initiative