परमाणु निरस्‍त्रीकरण संधि अंतर्राष्‍ट्रीय शांति की एक आवश्‍यक स्‍तंभ है- संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव
13 July 2018
परमाणु अस्‍त्र निरस्‍त्रीकरण संधि को हस्‍ताक्षर के लिए रखे जाने की 50वीं वर्षगांठ पर संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव एंतोनियो…
[vc_row][vc_column][vc_column_text]
परमाणु अस्त्र निरस्त्रीकरण संधि को हस्ताक्षर के लिए रखे जाने की 50वीं वर्षगांठ पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतेरेस ने सभी संबद्ध देशों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि आने वाले वर्षों में संधि की शक्ति और महत्व जारी रहें।
अपने प्रवक्ता के माध्यम से जारी वक्तव्य में महासचिव गुतेरेस ने कहा कि परमाणु निरस्त्रीकरण संधि अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की एक आवश्यक स्तंभ है तथा परमाणु निरस्त्रीकरण और अप्रसार तंत्र की धड़कन है।
उन्होंने कहा, "इसकी अनूठी स्थिति के आधार हैं- लगभग सभी देशों की सदस्यता, निरस्त्रीकरण के बारे में कानूनन् बाध्यकारी दायित्व, पुष्टि करने योग्य अप्रसार संरक्षण तंत्र एवं परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के प्रति संकल्प।
श्री गुतेरेस ने अपने वक्तव्य में परमाणु निरस्त्रीकरण संधि के संरक्षकों- रूस, यूनाइटेड किंगडम और अमरीका- के संयुक्त वक्तव्य का भी स्वागत किया जिसमें उन्होंने परमाणु हथियारों के उन्मूलन के प्रति संकल्प दोहराया है। परमाणु हथियारों का उन्मूलन सिक्योरिंग अवर कॉमन फ्यूचर शीर्षक से महासचिव के निरस्त्रीकरण एजेंडा की केन्द्रीय प्राथमिकता है। यह एजेंडा उन्होंने मई में सबके सामने रखा था।
परमाणु निरस्त्रीकरण संधि एक युगांतरकारी संधि है जिसका उद्देश्य परमाणु हथियारों और हथियार टैक्नॉलॉजी का प्रसार रोकना, परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोगों में सहयोग बढ़ाना और परमाणु निरस्त्रीकरण का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ना है।
यह इस बात की प्रतीक है कि परमाणु हथियार संपन्न देशों ने एक बहुपक्षीय संधि में निरस्त्रीकरण के लक्ष्य के लिए एकमात्र बाध्यकारी संकल्प व्यक्त किया है। 1 जुलाई, 1968 को हस्ताक्षर के लिए रखे जाने के बाद से 191 देश संधि में शामिल हो चुके हैं। इनमें 5 परमाणु हथियार संपन्न देश शामिल हैं। हथियारों को सीमित करने और निरस्त्रीकरण के किसी भी अन्य समझौते की तुलना में अधिक देशों ने परमाणु निरस्त्रीकरण संधि का अनुमोदन किया है।
परमाणु निरस्त्रीकरण संधि 1970 में प्रभाव में आई और मई 1995 में इसे अनिश्चितकाल तक विस्तार दिया गया।
2020 में संधि का समीक्षा सम्मेलन होगा जिसमें संबद्ध देश इसके प्रावधानों पर अमल की पड़ताल करेंगे।[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]