Press Release

भारत सरकार और भारत में संयुक्त राष्ट्र ने सतत विकास फ्रेमवर्क (2018-2022) पर हस्ताक्षर किए

29 September 2018

नई दिल्ली, 28 सितंबर 2018: नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अमिताभ कांत और भारत में संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय समन्वयक श्री यूरी अफनासिएव ने 2018-2022…

नई दिल्ली, 28 सितंबर 2018: नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अमिताभ कांत और भारत में संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय समन्वयक श्री यूरी अफनासिएव ने 2018-2022 के लिए भारत सरकार-संयुक्त राष्ट्र सतत विकास फ्रेमवर्क (यूएनएसडीएफ) पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार की अध्यक्षता में विशेष हस्ताक्षर समारोह में हस्ताक्षर किए जिसमें नीति आयोग के सदस्य और भारत में संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के प्रमुखों ने भाग लिया।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार ने जोर दिया कि 2018-2022 भारत की विकास गाथा में एक महत्वपूर्ण चरण होगा क्योंकि इसमें यूएनएसडीएफ जैसे साझेदारी माध्यम 2022 तक, जो भारत की स्वतंत्रता का 75वां साल भी होगा, नए भारत के निर्माण की गति को तेज़ करने की दिशा में और अधिक महत्वपूर्ण हो जाएंगे और यह भारत ऐसा भारत होगा जो गरीबी से मुक्त होगा और सब के लिए बराबर होगा।

यूएनएसडीएफ भारत की प्रमुख राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की उपलब्धि के समर्थन में भारत सरकार और संयुक्त राष्ट्र देश टीम के बीच विकास सहयोगपूर्ण कार्यनीति को रेखांकित करता है। यूएनएसडीएफ की रचना सरकारी संस्थाओं, सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों, अकादमिक सदस्यों और निजी क्षेत्र के परामर्श से अत्यधिक भागीदारीपूर्ण प्रक्रिया के बाद की गई थी। इसके फोकस क्षेत्रों में गरीबी और शहरीकरण; स्वास्थ्य, पानी, और स्वच्छता; शिक्षा; पोषण और खाद्य सुरक्षा; जलवायु परिवर्तन, स्वच्छ ऊर्जा, और आपदा समुत्थानशीलता; कौशलीकरण, उद्यमिता, और रोज़गार सृजन; और लैंगिक समानता और युवा विकास शामिल हैं। परिणामी क्षेत्रों में, संयुक्त राष्ट्र विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर, दक्षिण-दक्षिण सहयोग पर भारत सरकार का समर्थन करेगा। यूएनएसडीएफ 2018-2022 के कार्यान्वयन के लिए कुल नियोजित बजट व्यय लगभग 11000 करोड़ रुपये है, जिसमें से 47 प्रतिशत को निजी क्षेत्र और सरकार सहित कई स्रोतों से कार्यान्वयन के माध्यम से जुटाने की योजना है।

नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अमिताभ कांत ने भारत की विकास चुनौतियों को पूरा करने और सामाजिक उद्यमियों और निजी क्षेत्र की शक्ति को बड़े पैमाने पर कार्य करने के लिए नवाचार को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

यूएनएसडीएफ किसी को भी पीछे न छोड़ने अर्थात् सबका साथ सबका विकास (सभी के लिए विकास) के एसडीजी के अति महत्वपूर्ण सिद्धान्त से बंधा हुआ है।। यूएनएसडीएफ में उल्लिखित कार्यक्रमजनित कार्य में कम आय वाले सात राज्य (बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश), उत्तर-पूर्वी क्षेत्र और नीति आयोग द्वारा इस वर्ष की शुरुआत में चिह्नित महत्वाकांक्षी जिलों को लक्षित हैं। कार्य सबसे हाशिए वाले, गरीब और कमजोर समुदायों और देश के लोगों- विशेष रूप से महिलाओं और लड़कियों के जीवन में सुधार करने पर केंद्रित होगा।

स्थानीय संयुक्त राष्ट्र समन्वयक श्री यूरी अफनासिएव ने कहा कि "भारत में संयुक्त राष्ट्र भारत सरकार की विकास प्राथमिकताओं को पूरा समर्थन प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि यूएनएसडीएफ के परिणामों को प्राप्त किया जाना सुनिश्चित हो सके। दोनों मिलकर जो समाधान निकालेंगे,वे दुनिया के दक्षिणी हिस्से में कार्रवाई को उत्प्रेरित कर सकते हैं-ठीक वैसे ही जैसे दुनिया के किसी भी हिस्से से मिले समाधान को भारत में भी अंगीकृत किया जाएगा। साथ ही, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि देश के मजबूत विकास का लाभ गरीबों, कमजोर और वंचित समुदायों को अवश्य मिले। "

यूएनएसडीएफ में संयुक्त राष्ट्र के कुछ अग्रणी कार्यक्रम भी शामिल हैं जिन्हें प्रमुख सरकारी योजनाओं के अनुकूल बनाया गया है। अग्रणी कार्यक्रम भारत की सबसे महत्वपूर्ण विकासात्मक चुनौतियों में से कुछ के लिए विस्तार-योग्य अभिनव, बहु-क्षेत्रीय समाधान प्रस्तुत करेंगे। साथ ही, विकासशील वित्त के बढ़ते निवेश के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेंगे। इन कार्यक्रमों में गरीबों के लिए किफायती आवास से लेकर ग्रामीण ऑफ-ग्रिड क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंच बढ़ाना; सभी बच्चों को टीके से रोके जा सकने योग्य बीमारियों से बचाने से लेकर सभी बच्चों के लिए गुणवत्तापरक शिक्षा और युवाओं- विशेष रूप से युवतियों के कौशलीकरण; और बाल विकास अवरोध से लेकर बाल लिंग अनुपात में सुधार करना तक शामिल हैं।

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