महिलाओं के प्रति हिंसा उन्मूलन का अंतर्राष्ट्रीय दिवस
26 November 2018
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का संदेश
महिलाओं और लड़कियों के साथ हिंसा की समस्या दुनिया भर में फैली हुई है। यह सभी महिलाओं और लड़कियों का नैतिक…
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का संदेश

महिलाओं और लड़कियों के साथ हिंसा की समस्या दुनिया भर में फैली हुई है। यह सभी महिलाओं और लड़कियों का नैतिक अपमान, हमारे सभी समाजों के लिए कलंक और समावेशी, समतामूलक तथा संवहनीय विकास में एक प्रमुख बाधा है। महिलाओं और लड़कियों के साथ हिंसा का मूल कारण उनके प्रति सम्मान के भाव का घोर अभाव है। पुरुष असल में महिलाओं की निहित बराबरी और गरिमा को मान्यता ही नहीं देते। यह मुद्दा बुनियादी मानव अधिकारों का है।
घर में हमलों से लेकर तस्करी, संघर्षों के दौरान यौन हिंसा से लेकर बाल विवाह और जननांग भंग से लेकर महिलाओं की हत्या तक, हिंसा के अनेक रूप हो सकते हैं। यह हिंसा महिलाओं और लड़कियों को तो नुकसान पहुँचाती ही है, परिवार और समाज पर भी इसके दूरगामी प्रभाव पड़ते हैं। यह बहुत बड़ा राजनीतिक मुद्दा भी है। महिलाओं के साथ हिंसा का सीधा संबंध हमारे समाज में सत्ता और नियंत्रण के व्यापक मुद्दों से है। हमारे समाज पर पुरुषों का वर्चस्व है। महिलाओं को ऐसे अनेक तरीकों से हिंसा के सामने लाचार कर दिया जाता है जिनसे हम उन्हें बराबरी का दर्जा नहीं देते।
पिछले एक वर्ष में इस हिंसा के एक रूप पर बहुत अधिक ध्यान दिया गया है। अधिकतर महिलाओं को अपने जीवन के किसी न किसी मोड़ पर यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। सभी क्षेत्रों और समाज के सभी वर्गों की महिलाएं जिस तरह इस बारे में सार्वजनिक जानकारी दे रही हैं, उससे समस्या की भयावहता उजागर हो रही है । इससे यह भी साबित हो रहा है कि हर जगह उत्पीड़न और हिंसा समाप्त कराने के लिए आवश्यक कार्रवाई और जागरूकता उत्प्रेरित करने में महिला आंदोलन कितनी ताकत जुटा सकते हैं।
महिलाओं और लड़कियों के साथ हिंसा समाप्त कराने के लिए संयुक्त राष्ट्र का वैश्विक UNiTE अभियान इस वर्ष ‘Orange the World: #HearMeToo’ विषय के तहत हिंसा झेल चुकी महिलाओं और लड़कियों और उनके हिमायतियों के प्रति हमारा समर्थन उजागर कर रहा है। इसमें ऑरेंज यानि नारंगी एकजुटता के सूत्र में बांधने वाला रंग है और #HearMeToo हैशटैग यह स्पष्ट संदेश देने के लिए चुना गया है किः महिलाओं और लड़कियों के साथ हिंसा अब बंद होनी चाहिए और उसमें हम सबको अपनी भूमिका निभानी है।
ईयू-यूएन स्पॉटलाइट इनिशिएटिव में भी यही संदेश गूँजता है। 50 करोड़ यूरो का यह कार्यक्रम हिंसा झेल चुकी महिलाओं और लड़कियों और उनके हिमायतियों को अपने घरों. समुदायों और देशों में परिवर्तन लाने वाले एजेंट की भूमिका निभाने की सामर्थ्य देगा। यह शुरुआती निवेश महत्वपूर्ण तो है पर समस्या की विकरालता को देखते हुए कम है। इसे वैश्विक आंदोलन के लिए बुनियादी राशि माना जाना चाहिए। जब तक हमारी आधी आबादी यानि महिलाएं और लड़कियां भय, हिंसा और रोज़ाना असुरक्षा की भावना से मुक्त होकर नहीं जी पातीं तब तक हम सयी मायनों में नहीं कह सकते कि हम एक स्वतंत्र और समान विश्व में जीते हैं।